Income Tax PropertyGuide: 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदना भारतीयों के लिए सपने को सच करने जैसा है। लेकिन इस बड़े फ़ैसले के साथ ही इनकम टैक्स के कुछ नियम भी जुड़े होते हैं, जिनकी जानकारी न होना आपको बाद में बड़ी परेशानी में डाल सकता है। क्या आप जानते हैं कि इतनी बड़ी रकम की प्रॉपर्टी खरीदने पर आपकी टैक्स जांच हो सकती है? या फिर आपको टैक्स बचाने के कौन-से रास्ते मिल सकते हैं? अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां हम आपको बताएंगे इनकम टैक्स के 5 जरूरी नियम जो 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदने वाले हर व्यक्ति को पता होने चाहिए।
इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको प्रॉपर्टी खरीदने से जुड़े टैक्स के सभी पहलुओं की पूरी और सीधी जानकारी मिल जाएगी। हमने इसे आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है ताकि आप बिना किसी कन्फ्यूजन के सब कुछ समझ सकें। इसलिए, अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
1 करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदने पर इनकम टैक्स के 5 मुख्य नियम
आपकी जानकारी के लिए बता दें, जब भी कोई बड़ी लेन-देन की बात आती है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर उस पर होती है। 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी की खरीदारी निश्चित तौर पर एक बड़ा फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन माना जाता है। ऐसे में, इन नियमों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
नियम 1: टीडीएस (TDS) का नियम
आपको बता दें, 50 लाख रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदने पर खरीदार के लिए टीडीएस काटना जरूरी होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बहुत से लोग इस नियम से अनजान होते हैं। 1 करोड़ की प्रॉपर्टी के मामले में, आपको प्रॉपर्टी की कीमत का 1% टीडीएस के रूप में काटकर सरकार के पास जमा कराना होगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो आप पर पेनल्टी लग सकती है और आयकर विभाग से नोटिस आ सकता है।
नियम 2: आय के स्रोत (Source of Income) पर सवाल
जब आप 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यह जरूर देखता है कि यह पैसा आपके पास कहां से आया। सूत्रों के मुताबिक, अगर आपकी घोषित आमदनी और प्रॉपर्टी की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर है, तो यह आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है। आपको यह साबित करना होगा कि इस खरीद के लिए पैसा लीगल स्रोतों से आया है, जैसे- बचत, लोन, गिफ्ट, इनहेरिटेंस आदि।
नियम 3: कैपिटल गेन्स टैक्स
मान लीजिए आप यह प्रॉपर्टी बेच रहे हैं न कि खरीद रहे हैं। अगर आपने इसे कम दाम में खरीदा था और अब 1 करोड़ में बेच रहे हैं, तो आपको कैपिटल गेन यानी पूंजीगत लाभ पर टैक्स देना होगा। प्रॉपर्टी होल्डिंग पीरियड के आधार पर, यह टैक्स लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के तहत लगेगा। LTCG पर 20% की दर से टैक्स लगता है, जबकि STCG आपकी सामान्य आमदनी में जुड़ जाता है।
नियम 4: हाउस प्रॉपर्टी इनकम
अगर आपने यह प्रॉपर्टी किराए पर देने के लिए खरीदी है, तो मिलने वाला किराया आपकी आमदनी माना जाएगा और इस पर आपको टैक्स देना होगा। इसे ‘हाउस प्रॉपर्टी इनकम’ कहते हैं। हालांकि, आप इस आमदनी में से म्युनिसिपल टैक्स, मरम्मत का खर्च (स्टैंडर्ड डिडक्शन) और होम लोन पर ब्याज जैसी चीजों में कटौती कर सकते हैं, जिससे आपकी टैक्स में बचत हो सकती है।
नियम 5: क्लेरिटी ऑन लोन एंड गिफ्ट
अगर प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसा आपने बैंक लोन लेकर जुटाया है या फिर किसी रिश्तेदार से गिफ्ट के तौर पर मिला है, तो इसकी पूरी जानकारी आपके टैक्स रिटर्न में दिखानी जरूरी है। होम लोन के ब्याज और प्रिंसिपल कंपोनेंट पर आप टैक्स में छूट पाने के हकदार होते हैं। वहीं, गिफ्ट में मिली रकम पर भी कुछ शर्तों के साथ टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन इसकी सही जानकारी देना बहुत जरूरी है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री: रजिस्ट्री के समय दिए गए स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेज को आप प्रॉपर्टी की कॉस्ट में जोड़ सकते हैं। भविष्य में प्रॉपर्टी बेचते समय कैपिटल गेन्स कैलकुलेट करने में यह आपका फायदा करेगा।
- टैक्स रिटर्न में डिटेल: प्रॉपर्टी खरीदने के बाद, अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी पूरी डिटेल जरूर भरे। इसमें प्रॉपर्टी का पता, खरीद की तारीख और खरीद मूल्य जैसी जानकारी शामिल होती है।
- पैन कार्ड की अनिवार्यता: 5 लाख रुपये से अधिक के किसी भी लेन-देन के लिए पैन कार्ड देना जरूरी है। 1 करोड़ के ट्रांजैक्शन में तो यह और भी जरूरी हो जाता है।
1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदना एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि है, लेकिन इसकी चमक तभी बरकरार रहेगी जब आप इनकम टैक्स के नियमों का पालन सही तरीके से करेंगे। इन नियमों की जानकारी होने से न सिर्फ आप कानूनी पचड़ों से बचेंगे, बल्कि टैक्स बचाने के सही तरीके भी अपना पाएंगे। किसी भी कन्फ्यूजन की स्थिति में किसी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेना हमेशा एक समझदारी भरा फैसला होता है। एक स्मार